शनिवार, 11 दिसंबर 2010

नज़र साफ़ हो तो बच सकते

क्या प्यार और रुझान में अंतर पाया है। वैसे जीवन में दोनों चीजें कभ भी घट सकती हैं।
जी हाँ इक बार यह सर उठाना शुरू करता है बस फिर कुछ भी ध्यान नहीं रहता।
आप के साथ काम करने वाला या रोज बस स्टैंड या फिर साथ सफ़र करने वाली आप की नींद उदा सकती हैं। सावधान रहना ही काफी नहीं है। नज़र भी साफ़ रखना होगा। वर्ना पूरी ज़िन्दगी में आग लगने से कोई नहीं बचा सकता।

शनिवार, 27 नवंबर 2010

मेरा देश तुम्हारा देश,
देश कोई भी हो आप या कि हम रहे आज़ाद ख्यालो की
आमीन

गुरुवार, 6 मई 2010

उड़न पाखी

मेरा नाम पाखी है,

चाहती हूँ ,

दूर गगन तक पंख खोल,

सीमान्त छु,

फिर लौट कर,

घर सो जायुं....

बाबा मेरे-

आश में,

माँ मेरी ,

धरकन बनी,

ता उम्र मुझ में,

गुदगुदी बन,

हँसते रहें...