क्या प्यार और रुझान में अंतर पाया है। वैसे जीवन में दोनों चीजें कभ भी घट सकती हैं।
जी हाँ इक बार यह सर उठाना शुरू करता है बस फिर कुछ भी ध्यान नहीं रहता।
आप के साथ काम करने वाला या रोज बस स्टैंड या फिर साथ सफ़र करने वाली आप की नींद उदा सकती हैं। सावधान रहना ही काफी नहीं है। नज़र भी साफ़ रखना होगा। वर्ना पूरी ज़िन्दगी में आग लगने से कोई नहीं बचा सकता।
शनिवार, 11 दिसंबर 2010
गुरुवार, 6 मई 2010
उड़न पाखी
मेरा नाम पाखी है,
चाहती हूँ ,
दूर गगन तक पंख खोल,
सीमान्त छु,
फिर लौट कर,
घर सो जायुं....
बाबा मेरे-
आश में,
माँ मेरी ,
धरकन बनी,
ता उम्र मुझ में,
गुदगुदी बन,
हँसते रहें...
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