मेरा नाम पाखी है,
चाहती हूँ ,
दूर गगन तक पंख खोल,
सीमान्त छु,
फिर लौट कर,
घर सो जायुं....
बाबा मेरे-
आश में,
माँ मेरी ,
धरकन बनी,
ता उम्र मुझ में,
गुदगुदी बन,
हँसते रहें...
पाखी पर कित्ती सुन्दर कविता. ..अच्छी लगी. कभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .
so nice yoy r hope u will get pankh one day...
पाखी पर कित्ती सुन्दर कविता. ..अच्छी लगी. कभी 'पाखी की दुनिया' की भी सैर पर आयें .
जवाब देंहटाएंso nice yoy r hope u will get pankh one day...
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