मेरा नाम पाखी है,
चाहती हूँ ,
दूर गगन तक पंख खोल,
सीमान्त छु,
फिर लौट कर,
घर सो जायुं....
बाबा मेरे-
आश में,
माँ मेरी ,
धरकन बनी,
ता उम्र मुझ में,
गुदगुदी बन,
हँसते रहें...
मेरा नाम पाखी है,
चाहती हूँ ,
दूर गगन तक पंख खोल,
सीमान्त छु,
फिर लौट कर,
घर सो जायुं....
बाबा मेरे-
आश में,
माँ मेरी ,
धरकन बनी,
ता उम्र मुझ में,
गुदगुदी बन,
हँसते रहें...